Monday 16 January 2012

भूल न जाना

ये जो लम्हे वक़्त टपकाता जा रहा है,
इन्हें तुम भूल न जाना.
जो मेरी मासूमियत पे तुम्हे प्यार आता है,
इसे तुम भूल न जाना.
जब मैं तुम्हारी टांग खींचता हूँ,
जानता हूँ, तुम खीज जाती है.
पर फिर भी जिस वजह से तुम हंस देती हो,
उस वजह को भूल न जाना.
जो घंटो हमने फ़ोन पे बातें करी हैं,
जिनका न कोई सर न कोई पैर था,
उन बातो की गहराई को
कहीं भूलोगी तो नहीं?
हफ्ते में एक बार ही सही,
मेरे उथलेपन की गहराई में डुबकी लगाना,
देखो, भूल न जाना.
मुझे डर है के मेरा चेहरा वक़्त के साथ बदल जाएगा
फिर न जाने तुम्हे प्यार आएगा के गुस्सा आएगा
फिर अगर मैं हंसू तो तुम भी हंसोगी न?
हंसने की वजह कुछ भी हो, वादा करो, हंसोगी न?
और हाँ! मेरा जन्मदिन याद रखना,
देखो.....

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