तू गुड़िया सुनेहरी, मैं काग़ज़ का पुतला,
तू झोंका हवा का, मैं बारिश का पत्ता.
तू नाव बड़ी सी, मैं नादिया का गोता,
मैं बच्चा अकेला, तू तूफान का झोंका.
मैं तेरी पनाहों का प्यासा मुसाफिर,
तू पलटे, यूँ देखे, औ हंस दे ज़रा फिर.
मैं पीछे हूँ तेरे, तू जाए है आगे,
है मन भी मेरा ये, हवा जैसे भागे.
एक आँधी की आहट मेरे सामने है,
ये तूफान, ये बादल, तुझे जानते हैं.
मैं नाज़ुक ज़रा हूँ, बिखर जाऊँगा,
तू हंसती रहेगी, दहल जाऊँगा।
तेरे सामने झुकते सारे यहाँ हैं,
मेरे प्यार की उतनी कीमत कहाँ है.
तू आगे बढ़ेगी, मैं खुश हूँ उसी में,
तेरे रास्ते पे मैं घुल के बह जाऊँगा.
तू चूमेगी जब अपने जैसे किसी को,
एक हल्का ज़रा सा मैं जल जाऊँगा.
जलूँगा ज़रा सा, सुलगे बिना पर,
मेरी रौशनी में तू दिखेगी चमकती.
बरस के गिरेंगे तेरे नूर पे सब,
बहूँगा अलग से मैं, बन काग़ज़ की कश्ती.
तू झोंका हवा का, मैं बारिश का पत्ता.
तू नाव बड़ी सी, मैं नादिया का गोता,
मैं बच्चा अकेला, तू तूफान का झोंका.
मैं तेरी पनाहों का प्यासा मुसाफिर,
तू पलटे, यूँ देखे, औ हंस दे ज़रा फिर.
मैं पीछे हूँ तेरे, तू जाए है आगे,
है मन भी मेरा ये, हवा जैसे भागे.
एक आँधी की आहट मेरे सामने है,
ये तूफान, ये बादल, तुझे जानते हैं.
मैं नाज़ुक ज़रा हूँ, बिखर जाऊँगा,
तू हंसती रहेगी, दहल जाऊँगा।
तेरे सामने झुकते सारे यहाँ हैं,
मेरे प्यार की उतनी कीमत कहाँ है.
तू आगे बढ़ेगी, मैं खुश हूँ उसी में,
तेरे रास्ते पे मैं घुल के बह जाऊँगा.
तू चूमेगी जब अपने जैसे किसी को,
एक हल्का ज़रा सा मैं जल जाऊँगा.
जलूँगा ज़रा सा, सुलगे बिना पर,
मेरी रौशनी में तू दिखेगी चमकती.
बरस के गिरेंगे तेरे नूर पे सब,
बहूँगा अलग से मैं, बन काग़ज़ की कश्ती.
No comments:
Post a Comment
Don't leave without saying anything...!