Tuesday, 23 February 2016

Completely honest journalists

Advisory Warning
I do not know whether Afzal was a terrorist or someone who was a mere pawn. I have faith in my judiciary but, I am okay with breathing the same air as people who want to raise questions. Zee News and Times Now promote jingoism.
I wouldn't side with them. But, then NDTV also isn't neutral. It sides with the left ideology and goes soft. I wouldn't side with them either. I would like both to co-exist. The concept of India is the concept of co-existence. If anyone is offended by my satire, I extend my apologies but, the point is just to demonstrate how multiple point of views can coexist in a democracy.


नमस्कार , मैं हूँ सुधीर चौधरी और डी एन ए में  आज हम विश्लेषण करेंगे हर उस विषय का जिस से हमारे प्रधानमन्त्री की तारीफ़ की जा सकती है .  हमारा मकसद आपको भड़काना नहीं है, बल्कि आपको भड़का कर आपके वोट बी जे पी की तरफ करवाना है. जे एन यू के उन छात्रों को जिन्होंने हर साल की तरह इस साल भी काफी राजनीतिक मुद्दे उठाए, हम देशद्रोही घोषित करते हैं. और ये हमारा  नज़रिया नहीं, बल्कि सारे देश का नज़रिया है. यदि आप हमसे इत्तेफ़ाक़ नहीं  रखते तो आप भी देशद्रोही कहलाएंगे . देशद्रोही शब्द को अपने ही मुल्क के लोगों के लिए बोल बोल कर हम इसकी कीमत कम नहीं कर रहे बल्कि और बढ़ा रहे हैं. हम तबतक भारत के संविधान की दुहाई देते रहेंगे जबतक आपको यकीन नहीं हो जाएगा कि अफज़ल गुरु को  जल्दबाज़ी में नहीं बल्कि पूरे इत्मीनान से फांसी दी गई थी. लोग भूल जाएंगे कि उन्होंने एक दिन न्यूज़ देखी तो पता चला कि अफज़ल मियाँ निकल लिए अचानक . हमारे पास आपको भड़काने के अलावा और चारा  नहीं है . आप यदि मेरा शो देखते हैं तो आपको पता ही होगा की भारतीय जनता पार्टी का कितना क़र्ज़ है हमपर. जबसे ये चैनल आर एस एस की जेब में गया है, हमारा काम सिर्फ और सिर्फ तलवे चाटने का रह गया है. जय हिन्द !

नमस्कार मैं रवीश ! आप तो  ही .पहचानते ही होंगे , मैं वही -  राइट विंग के आलोचकों का प्रतिनिधि. हमारे एन डी टी वी ने हिंदुत्ववाद और राष्ट्रवाद की इतनी भर्त्स्ना की कि राष्ट्रीय राजनीतिक समीकरण एकतरफा हो के रह गया. कांग्रेस के कुशासन के आधे ज़िम्मेदार मेरे जैसे लोग हैं जो एक अलग तरह की अंधभक्ति में लीन रहे. अब जब पानी सर से ऊपर जा चुका है तब आइये हम आपको लिए चलते हैं जे एन यू के उस दैत्य के पास जिसे हमारी शह प्राप्त है. अफज़ल को फांसी नहीं होनी चाहिए ये कह के हम आगे बढ़ जाते हैं. उसके गुनाहों पर कोई रवीश की रिपोर्ट नहीं कर पाते. अल्पसंख़्यकों और मज़लूमों के हवाले से बोलते बोलते हम खुद को भी पीड़ित और मज़लूम समझने लगे हैं. गॉड काम्प्लेक्स सुना होगा आपने. हमें गुलाम काम्प्लेक्स है. 

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